Thursday, December 6, 2018

गुरुवार का दिन बावलिया बाबा का दिन होता है , कैसे जरुर देखे

राजस्थान के शेखावाटी की धन्यधरा में दानवीर, कर्मवीर, उद्योगपति, संत-फकीर, देश की आन-बान और शान पर कुर्बान होने वाले जाबाज सपूतों को जन्म दिया जिन्होंने न केवल शेखावाटी बल्कि भारत का नाम विश्व में गौरवान्वित किया है! झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ कस्बे से पन्द्रह किलोमीटर दूरी पर स्थित ‘बुगाला’ नामक गांव है जहां आज से लगभग दौ सौ बरस पहले एक दिव्य आत्मा ने इस धरा पर जन्म लिया जिनका नाम था पंडित गणेशनारायण| भारत की पवित्र धरा पर समय – समय स्वयं भगवान अवतार लिया और जगत का कल्याण किया|
  बुगाला गांव में विक्रम संवत 1903 में पौष बदी एकम (गुरुवार)के दिन इनका खंडेलवाल ब्राह्मण घनश्यामदास के घर जन्म हुआ। विद्वान पिता बालक के अलौकिक प्रभाव से आनंद से भाव-विहोर थे| बालक गणेशनारायण ने अल्पायु में ही संस्कृत, व्याकरण,ज्योतिष शास्त्र, आयुर्वेद आदि ग्रंथों में निपुणता हासिल कर ली| उनके गुरु पंडित रूदेंद्र शास्त्री बालक गणेश के कुशाग्र बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए| वि़ सं. 1917 में मात्र चौदह वर्ष की उम्र में नवलगढ़ के चतुर्भुज की लड़की स्योनदी के साथ इनका विवाह सम्पन्न हुआ। नवलगढ़ में ही रह रहे अमीर शाहजादा केशरशाह से इन्होंने फारसी भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। संवत 1932 में इन्हें पुत्र रत्न प्राप्त हुआ| पंडित गणेशनायारण जी अपने आराध्य शिव और शक्ति के दर्शन करने को लालायित थे| पंडितजी की जीवन साधना बड़ी ही सात्विक थी, वे कहते थे शिव-शक्ति की साधना कभी भी निष्फल नहीं होती, साधक की पुकार शक्ति जरूर सुनती है, अब पंडितजी केवल शक्ति से साक्षात्कार करने का उदेद्श्य रह गया था!

बावलिया बाबा का जन्म गुरुवार 1903 मे हुआ है , इस वजह से गुरुवार का दिन बावलिया बाबा के भगतो के लिये शुभ माना जाता है !! इस पोस्ट को अपने मित्रो ऐव परिवार के लोगो मे ज्यादा से ज्यादा SHARE करे !!

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